पूर्व मंत्री, झारखण्ड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य और झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि गिरिडीह की अपनी चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जीएमएफटी फंड से झारखण्ड को 12 हज़ार करोड रुपये मिलने और उसमें से केवल कोडरमा जिले में 60 करोड़ दिये जाने सम्बंधित वक्तव्य एक प्रकार से प्रधानमंत्री की स्वीकारोक्ति है कि झारखण्ड में खनिजों के दोहन का अपेक्षित लाभ झारखण्ड को नहीं मिल रहा है. श्री तिर्की ने कहा कि प्रधानमंत्री यह तो कह रहे हैं कि 60 करोड रुपये की रकम कोडरमा को मिली है पर क्या वह पर्याप्त है. इस बात का जवाब प्रधानमंत्री को देना चाहिये.
श्री तिर्की ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सच्चाई से मुँह मोड़ते हुए वैसी बातें कर रहे हैं जिसका ज़मीनी सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि अबतक के चुनाव से या प्रमाणित हो चुका है कि मुकाबला एक तरफा नहीं है और इंडिया गठबंधन बहुत मजबूती के साथ झारखण्ड के सभी लोकसभा क्षेत्रों के साथ ही पूरे देश में चुनाव लड़ रहा है. श्री तिर्की ने कहा कि झारखण्ड में भी 4 जून को जब परिणाम सामने आयेगा तो भाजपा के लिये मामला चौंकाने वाला होगा क्योंकि यहाँ अंडर करंट है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की झारखण्ड में हुई अलग-अलग चुनावी दौरे और इस दौरान सभाओं में श्री मोदी के वक्तव्य से यह प्रमाणित हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी लोगों की प्रतिक्रिया से घबरा चुकी है और वह अंतिम दम तक इस चुनाव को अपने पक्ष में करना चाहती है. लेकिन वास्तविकता यह है कि लोगों को भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ ही भाजपा और एनडीए गठबंधन की हक़ीक़त का पता चल चुका है और उसे चुनाव में इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा. श्री तिर्की ने कहा कि चुनावी राजनीति की बात को अलग रखकर केन्द्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यह सोचना चाहिये कि झारखण्ड के संसाधनों का लाभ झारखण्ड के लोगों को मिले और इस मामले में किसी भी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिये और इसके लिये उन्हें सबसे पहले झारखण्ड के हिस्से की राजस्व की बकाया 1 लाख 36 हज़ार करोड रुपये की राशि का झारखण्ड को सबसे पहले भुगतान किया जाना चाहिये.
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