रांची: झारखंड के जननायक, झारखंड राज्य निर्माण आंदोलन के प्रखर योद्धा एवं आदिवासी समाज के गौरव दिशोम गुरु स्वर्गीय शिबू सोरेन के जीवन और संघर्ष की प्रेरक गाथा को स्कूली विद्यार्थियों तक पहुँचाने के उद्देश्य से आज कैलकटा पब्लिक स्कूल,ओरमांझी में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का संचालन विद्यालय की प्रातःकालीन सभा के दौरान किया गया, जिसमें पब्लिक स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन (पासवा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए दिशोम गुरु के जीवन के उन संघर्षों और उपलब्धियों की चर्चा की, जो आज भी हर झारखंडवासी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
श्री दूबे ने कहा कि शिबू सोरेन का जीवन मात्र एक राजनीतिक यात्रा नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना, आत्म सम्मान और न्याय के लिए किए गए संघर्षों की मिसाल है। उन्होंने अपने जीवन में अनेक कष्ट सहे लेकिन आदिवासी समाज के अधिकारों और सम्मान के लिए कभी पीछे नहीं हटे। उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड के हर बच्चे को अपने इस जननायक के बारे में जानना चाहिए, क्योंकि वे हमारी पहचान और इतिहास के जीवंत प्रतीक हैं।
इस अवसर पर उन्होंने शिबू सोरेन के बचपन, सामाजिक अन्याय के खिलाफ संघर्ष, झारखंड आंदोलन में नेतृत्व, संसद में जनजातीय समाज की आवाज़ बनने और झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में उनके योगदान की विस्तार से जानकारी दी। विद्यार्थियों ने इस संवाद में उत्साहपूर्वक भाग लिया और कई जिज्ञासाएँ भी प्रकट कीं, जिनका उत्तर श्री दूबे ने अत्यंत सरल और प्रेरणा स्पद ढंग से दिया।
विद्यालय की प्रधानाचार्या प्रभात झा एवं प्रियमदा झा तथा शिक्षकगणों ने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों से विद्यार्थियों में राज्य के इतिहास और उनके नायकों के प्रति गर्व की भावना उत्पन्न होती है। कार्यक्रम के अंत में विद्यार्थियों ने देश भक्ति गीतों की मनमोहक प्रस्तुति दी, जिससे पूरा परिसर राष्ट्रभक्ति और आदिवासी स्वाभिमान के भाव से गूंज उठा।
आलोक कुमार दुबे ने इस अवसर पर यह भी दोहराया कि पासवा की ओर से बहुत जल्द झारखंड सरकार से यह औपचारिक मांग की जाएगी कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन की जीवनी को स्कूली पाठ्यक्रम में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ अपने इतिहास और संस्कृति से सीधे जुड़ सकें। उन्होंने कहा कि पासवा की यह पहल अब केवल मांग नहीं बल्कि एक सामाजिक और शैक्षणिक आंदोलन बन चुकी है।
कार्यक्रम का समापन विद्यार्थियों और शिक्षकों के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस अवसर ने यह स्पष्ट किया कि झारखंड के भविष्य निर्माता बच्चे जब अपने अतीत और नायकों से जुड़ेंगे, तभी वे सशक्त और स्वाभिमानी नागरिक बन पाएंगे।